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करोड़ों को हज़ारों में गिनावे धर्म का चक्कर
चमन में फ़ूल फूल ख़ुशियों के खिलाने की जगह लोगोंबुलों गुलों को खून ख़ून के आँसू रुलावे धर्म का चक्कर
कभी शायद सिखावे था मुहब्बत-मेल लोगों को