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Kavita Kosh से
रच-पच बिगसै
रंग रेत रा
कांई है सारै
म्हारो जीणो-मरणो
रेत रै लारै
आ रेत रोसै
मा है मा, देखो लाड
आ रेत पोखै
हां, सोवै-जागै