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शिक्षा / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
धाक धिनक धिन, धिन-धिन-धिन
चुप मत बैठें गिनती गिन
एक्काँ, दूक्काँ, तिनकाँ, चैक्काँ
पचकाँ, छक्काँ, फेरु सतकाँ
अठकाँ, नौक्काँ आरो दसकाँ
दसकाँ सें लै केॅ तोंय बिसकाँ
नै पढ़ला सेॅ लै जैतौं जिन
धाक धिनक धिन, धिन-धिन-धिन।
गिन ऊँगली पर सोमवार केॅ
मंगल आरो बुद्धवार केॅ
ऊँगली पर गिन गुरुवार केॅ
शुक्र-शनी केॅ, रविवार केॅ
एक्को ठो नै भुलैयैं दिन
धाक धिनक धिन, धिन-धिन-धिन।