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शुद्धता मोह की बाधिका बन गयी / रंजना वर्मा
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शुद्धता मोह की बाधिका बन गयी।
स्नेह की भावना अर्चिका बन गयी॥
सौम्यता शक्ति की जब बनी साधना
कामना ही हृदय-रंजिका बन गयी॥
लोग कहते कि राधा नहीं थी कभी
प्रीति घनश्याम की राधिका बन गयी॥
चाँदनी रात में जब बजी बाँसुरी
टेर वह मदभरी साधिका बन गयी॥
देख कर रम्यता मुग्ध रवि की सुता
श्याम घन प्रेम की पोषिका बन गयी॥
चाह अभिसार की कुनमुनाने लगी
प्यार की कल्पना याचिका बन गयी॥
हो समर्पित गये रूह तन और मन
आरती दीप की वर्तिका बन गयी॥