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सब करार को तरसे / शेरजंग गर्ग
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सब करार को तरसे बेक़रार लोगों में
फिर भी आस जागी है बार-बार लोगों में
क़त्ल का मुक़दमा है, पर गवाह झूठे हैं
न्याय का तो अब भी है इंतज़ार लोगों में
पैंतरे तो होंगे ही, पैंतरों की दुनिया हैं
फँस गए मियाँ तुम भी होशियार लोगों में
इक सिरे से सब के सब ढोल पोल वाले हैं
राज़ ही नहीं मिलता राज़दार लोगों में
आप किसलिए बदले, आप किसलिए हारे,
आप के तो चर्चे है यादगार लोगों में
ज़िन्दगी की ख़ातिर हम मौत को भी जी लेंगे
क्यों शुमार हो जाएँ बेशुमार लोगों में