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ससुररिया के हाल हम की कहियउ / जयराम दरवेशपुरी

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ससुररिया के हाल हम की कहिअउ सखिया
सभे लाल पीयर कइले हलउ दुनूं अँखिया

बड़ी परपरा के लगउ ननदी के बोलिया
देवरा के बोली तऽ करेजा मारउ गोलिया
धमधुर में फोर देलकउ दलिया के हंड़िया
छाती मुक्का मारऽ गोतिन पटकउ लोटा-थरिया

ससुर मनमतंगी करउ बाहर ठीकेदरिया
दुअरा पर अइते पढ़उ सड़ल-सड़ल गरिया
कहियो न´ परस के आगू देवे गेलूं थरिया
बुढ़िया ससुइया करउ फजहतिया
जन्नी नियन ओलहन सुनाबउ भैंसुर दिन-रतिया
गछ के न´ देलकउ बाप मोटर साइकिल ठकिया
लुच्चा कुल खानदान तोर कुल भाय-गोतिया
सुनि-सुनि लोरे झोरे रहउ दुन्नूं अँखिया

दूर के शहरिया में सइयाँ के नउकरिया
सनिचरे एतवारे ऊहो लाँघो हल दुअरिया
खटिया के पटिया सिमटि काटूँ रतिया
ऊहो कोढ़िया हँसि के न´ बोलउ एक्को बतिया।