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सात कविताएं-2 / लोग ही चुनेंगे रंग
Kavita Kosh से
कराची में भी कोई चाँद देखता है
युद्ध सरदार परेशान
ऐसे दिनों में हम चाँद देख रहे हैं
चाँद के बारे में सबसे अच्छी खबर कि
वहाँ कोई हिंद पाक नहीं है
चाँद ने उन्हें खारिज शब्दों की तरह कूड़ेदानी में फेंक दिया है.
आलोक धन्वा, तुम्हारे जुलूस में मैं हूँ, वह है
चाँद की पकाई खीर खाने हम साथ बैठेंगे
बग़दाद, कराची, अमृतसर, श्रीनगर जा जा
अनधोए अँगूठों पर चिपके दाने चाटेंगे.