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सुन्दर सबकुछ / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
Kavita Kosh से
सुन्दर सबकुछ, सुन्दर प्यारोॅ!
काँटोॅ-फूल-कली सें सजलोॅ,
धरती के कण-कण मनियारोॅ!
हिरदय सें प्रेमोॅ के धारा,
तोड़ी बहलै कूल-किनारा,
प्रभु के अजगुत रचना देखी,
मन उद-बुद छन-छन मतबारोॅ!
सागर लहरें गीत सुनाबै,
प्रतिधुनि में पत्थर मुस्काबै,
रूपराशि-भरलोॅ जड़-चेतन,
अहरह पारै एक हँकारोॅ!
मधुमय जोत सरङ सें आबै,
जीवन के अणु-अणु सहलाबै,
सिरजन के संगीत बनी केॅ,
मेघ उमड़लै कारोॅ-कारोॅ!
सुन्दर सबकुछ, सुन्दर-प्यारोॅ!