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सुबह / स्वाति मेलकानी

दूर बंजती घंटी
     कुकर की सीटी
     अनूप जलोटा के भजनों से
     गूंजता लाउडस्पीकर
     नल से टपकता पानी
     खुलते बंद होते शटर
     और गाड़ियों के
     तेज हाँर्न के बीच
     मोबाइल में अलार्म बजाता है
     और
     एक अजनबी सुबह हो जाती है।
     जागने पर अचंभित
     मैं खोजती हूँ
     सपने में चहकती चिड़ियों को।