रेत में
सांझ ढ़ले छिपता है सूरज
मानो
सिर छुपा कर
शुतुरमुर्ग
आत्महत्या कर रहा हो !
नहीं सूर्य, नहीं !
ऐसे मत करो
शर्मसार हो कर
अकाल के तो
और भी कारण हैं !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
रेत में
सांझ ढ़ले छिपता है सूरज
मानो
सिर छुपा कर
शुतुरमुर्ग
आत्महत्या कर रहा हो !
नहीं सूर्य, नहीं !
ऐसे मत करो
शर्मसार हो कर
अकाल के तो
और भी कारण हैं !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"