भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सेठ की रात अभी बाकी है / राग तेलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सेठ धीरे-धीरे चलता है
सेठ दौड़ नहीं पाता
सेठ हांफ जाता है
सेठ साफ नहीं बोल पाता

सेठ कयामत से डरता है

सौ दिन सेठ के
एक दिन कयामत का

सेठ रोज डरते हुए जीता है

सेठ के लिए हर दिन कयामत है.