भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हरि भज ले हरि भज ले / हरियाणवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हरि भज ले हरि भज ले
हरि भजणै का मोका सै
ये चलती दुनियां सै
टिकट ले हम बी बैठांगे
संभल कै चलणा रे भइआ
पराए संग मैं धोखा सै
हरि भज ले हरि भज ले
हरि भजणै का मोका सै
तेरे माता पिता बन्धु
जगत साथी ना तेरा कोए
जिसे तू आपणा समझै
सरासर उन ते धोखा सै
हरि भज ले हरि भज ले
हरि भजणै का मोका सै