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होश की बात बड़ी बात है / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
होश की बात बड़ी बात है दीवानों में।
कौन ज़िन्दा है यहाँ आज सही मानो में?
खुद को पहचाने खोई हुई पहचानों में,
हम भी भर लाए हैं कुछ हौंसले मुस्कानों में।
ज़िन्दगी आन है, अरमान है, ईमान भी है,
दर्द किस शान में शामिल है परेशानों में।
ग़र्क वे हो गए नफरत के गली-कूचो में,
फ़र्क करते रहे जो उम्र भर इंसानों में।
यह मुसलमान, यह हिन्दू, यह इसाई, यह सिख,
आदमी खो गया मज़हब के बियावनों में।
आज हारे हुए सैनिक है तो कल जीतेंगे,
फिर टहलते हुए मिल जाएँगे मैदानों में।