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490 / हीर / वारिस शाह

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किसे केहे नपीढ़ नपीढ़िए तूं तेरा रंग है तोरी दे फुल दानी
ढाकां तेरियां किसे मरोढ़ियां नी एह कम होया हिलजुल दा नी
तेरा लक किसे पायमाल कीता धका कुल वजूद विच खुलदा नी
वारस शाह मियां एहो दुआ मंगे वारा खुलदा जावे अज कुल दा नी

शब्दार्थ
<references/>