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अँध्यारे तौ खावे फिर रये / महेश कटारे सुगम

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अन्ध्यारे तौ खावे फिर रये
सबरे दिया बुजावे फिर रये

गैलन में उपटा बैठे हैं
वे तौ हमें गिरावे फिर रये

डग-डग पै हिम्मत के लानें
भय के भूत डरावे फिर रये

खेल-खेल रये हार जीत कौ
कैसेंऊँ हमें हरावे फिर रये

हरे-भरे हम काय अबै तक
खोदत जड़ें सुखावे फिर रये

सुगम लगा कें पूरी ताकत
कारे करम दवावे फिर रये