भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अंगिका फेकड़ा / भाग - 9

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:01, 9 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatAngikaRachna}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


औका बौका, तीन तड़ौका
लौआ लाठी, चन्नन काठी।
बाग रे बग डोल-डोल
सम्मर में करेला फूले
एक करेला नाम की?
आई बिआई फूलेॅ पानेॅ पचकी जा।


धान कूटेॅ धनियाँ, बैठोॅ बभनियाँ
केला के चोप लेॅ केॅ दौड़ेॅ कुम्हैनियाँ।


अट्टा-पट्टा, नूनू केॅ पाँच बेट्टा
कोय गेलै गाय चराय लेॅ, कोय गेलै भैंसी में
नूनू हाथोॅ में दूध-भात
गस-गस खैलकै।


औका-बौका, तीन तड़ौका
लौआ-लाठी, चन्दन काठी।
बाग रे बग डोल-डोल
पनिया चुभुक।


चौबे चकमक दूबे नवाब
पांडे पंडित, मिसिर चमार।


चौधरी-मौधरी काठ के दीया
चौधरी


छिया-छिया।



औका-बौका, तीन तड़ौका
लौआ-लाठी, चन्नन काठी।
चल गे बेटी गंगा पार
गंगा पार से आनबौ रेल
रेल गेलो चोरी,

टलो कटोरी

इरिच-मिरिच मरचाइन केॅ झावा
हाथी दाँत सबुर नै पावा।


औका-बौका, तीन तड़ौका
लौआ-लाठी, चन्नन काठी
चल चल बहिनो पार गे
पारोॅ सें करेली लान
पक्का-पक्का हम्में खाँव
कच्चा-कच्चा तोहें खो
पकड़ बुच्ची कान गे।


पुड़िया रे पुड़िया
घीयोॅ में चपोड़िया।
माथ पर धुम धाम
पकड़ कनेठिया।