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"अंजाम आज खुद़ / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'" के अवतरणों में अंतर

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अंजाम आज खुद़ से अनजान हो रहा है
 
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आगाज़ ही अजल का सामान हो रहा है
 
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कुछ और कह रही हैं लोहूलुहान राहें
 
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कुछ और मंज़िलों से ऐलान हो रहा है
 
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है चोर ही सिपाही मुंसिफ़ है खुद़ ही क़ातिल
 
है चोर ही सिपाही मुंसिफ़ है खुद़ ही क़ातिल
 
 
किस शक्ल में नुमायाँ इंसान हो रहा है
 
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जिनको मिली है ताक़त दुनिया सँवारने की
 
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ख़ुदगर्ज आज उनका ईमान हो रहा है
 
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देखा पराग तुमने दुनिया का रंग बोलो
 
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इन हरक़तों से किसका नुक़सान हो रहा है।
 
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14:41, 10 मई 2009 के समय का अवतरण

अंजाम आज खुद़ से अनजान हो रहा है
आगाज़ ही अजल का सामान हो रहा है

कुछ और कह रही हैं लोहूलुहान राहें
कुछ और मंज़िलों से ऐलान हो रहा है

है चोर ही सिपाही मुंसिफ़ है खुद़ ही क़ातिल
किस शक्ल में नुमायाँ इंसान हो रहा है

जिनको मिली है ताक़त दुनिया सँवारने की
ख़ुदगर्ज आज उनका ईमान हो रहा है

देखा पराग तुमने दुनिया का रंग बोलो
इन हरक़तों से किसका नुक़सान हो रहा है।