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अगर तुम वही हो जो तस्वीर में हो / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"

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अगर तुम वही हो जो तस्वीर में हो
समझ लो लिखी मेरी तक्दीर में हो

सभी सांस लें हम यूं खुल के हवा में
मुक्द्दर किसी का न जंजीर में हो

लिखा मैंने खत हैं क्यूं उत्तर न आया
जरुरी नहीं उसकी तहरीर में हो

न पूछा किसी ने भी जिन्दे को पानी
बना मक्बरा उसकी तौकीर में हो

ये रौशन अगर थोड़ी दुनिया है"आज़र"
तुझे क्या पता तेरी तन्वीर में हो