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अगर रिश्ता ए दिल निभाना नहीं था / राकेश तैनगुरिया

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अगर रिश्तए दिल निभाना नहीं था
तुम्हें मुझको अपना बनाना नहीं था

बड़ी कद्र थी तब खुलूसो वफा की
अभी जैसा पहले ज़माना नहीं था

किसी रोज ऐसा तो होना था यारो
गागर में सागर समाना नहीं था

इतना दिया देने वाले ने मुझको
जितना मिरा पैमाना नहीं था

मेरी बात तुमको बुरी तो लगेगी
तुम्हें हुस्ने चन्दा चुराना नहीं था

मेरा नाम 'राकेश' यूँही नहीं है
उजालों का कब मैं ख़जाना नहीं था