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"अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें / सुदर्शन फ़ाकिर" के अवतरणों में अंतर

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अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें
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हम उनके लिए ज़िंदगानी लुटा दें <br><br>
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अगर ख़ुद को भूले तो, कुछ भी न भूले
चलो ज़िन्दगी को मोहब्बत बना दें <br><br>
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कभी ग़म की आँधी, जिन्हें छू पाये
कि चाहत में उनकी, ख़ुदा को भुला दें <br><br>
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क़यामत के दीवाने कहते हैं हमसे
वफ़ाओं के हम, वो नशेमन बना दें <br><br>
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चलो उनके चहरे से पर्दा हटा दें  
  
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चलो उनके चहरे से पर्दा हटा दें <br><br>
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मगर वो कोई फ़ैसला तो सुना दें  
 
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सज़ा दें, सिला दें, बना दें, मिटा दें <br>
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मगर वो कोई फ़ैसला तो सुना दें <br><br>
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07:29, 7 मई 2014 के समय का अवतरण

अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें
हम उनके लिए ज़िंदगानी लुटा दें

हर एक मोड़ पर हम ग़मों को सज़ा दें
चलो ज़िन्दगी को मोहब्बत बना दें

अगर ख़ुद को भूले तो, कुछ भी न भूले
कि चाहत में उनकी, ख़ुदा को भुला दें

कभी ग़म की आँधी, जिन्हें छू न पाये
वफ़ाओं के हम, वो नशेमन बना दें

क़यामत के दीवाने कहते हैं हमसे
चलो उनके चहरे से पर्दा हटा दें

सज़ा दें, सिला दें, बना दें, मिटा दें
मगर वो कोई फ़ैसला तो सुना दें