भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अग्निपथ / हरिवंश राय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 8 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
 
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
 
}}
 
}}
 
+
{{KKPrasiddhRachna}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
वृक्ष हों भले खड़े,
 
वृक्ष हों भले खड़े,
 
 
हों घने हों बड़े,
 
हों घने हों बड़े,
 
+
एक पत्र छाँह भी,
एक पत्र छांह भी,
+
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
 
+
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
मांग मत, मांग मत, मांग मत,
+
 
+
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
+
 
+
  
 
तू न थकेगा कभी,
 
तू न थकेगा कभी,
 
 
तू न रुकेगा कभी,
 
तू न रुकेगा कभी,
 
 
तू न मुड़ेगा कभी,
 
तू न मुड़ेगा कभी,
 
 
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
 
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
 
+
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
+
 
+
  
 
यह महान दृश्य है,
 
यह महान दृश्य है,
 
 
चल रहा मनुष्य है,
 
चल रहा मनुष्य है,
 
+
अश्रु स्वेद रक्त से,
अश्रु श्वेत रक्त से,
+
 
+
 
लथपथ लथपथ लथपथ,
 
लथपथ लथपथ लथपथ,
 
+
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
+

10:10, 19 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।