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"अजब है यह दुनिया बाजार / बिन्दु जी" के अवतरणों में अंतर

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01:58, 18 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

अजब है यह दुनिया बाजार,
जीव जहाँ पर खरीदार हैं ईश्वर साहूकार।
कर्म तराजू रैन दिवस दो पलड़े तौल भार,
पाप पुण्य के सौदे से ही होता है व्यापार।
बने दलाल फिरा करते हैं कामादिक बटमार,
किन्तु बचते हैं जिनसे ज्ञानादिक पहरेदार।
गिनकर थैली श्वास रत्न की परखादी सौ बार,
कुछ तो माल खरीदा नकदी कुछ क्र लिया उधार।
भरकर जीवन नाव चले आशा सरिता के पार,
कहीं 'बिन्दु' गर छिद्र हुआ तो डूब गए मंझधार॥