भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अटका बादल / अनीता कपूर

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:06, 23 मार्च 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता कपूर }} {{KKCatKavita}} <poem> मन कहीं नहीं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मन कहीं नहीं भटका है
ऊपर एक बादल अटका है
जो तुझ को छू कर आया है
मेरे मन के आँगन में बरसा है
चाँद कहीं नहीं भटका है
दिल के आसमाँ में लटका है
तेरे मन को छू कर आया है
मेरे तन के आँगन में चमका है