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"अदृश्य थे, मगर थे बहुत से सहारे साथ / शैलेश ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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अदृश्य थे, मगर थे बहुत से सहारे साथ.
मीठा भी और खारा भी पानी का है स्वभाव,<br>
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निश्चिन्त हो गया हूँ कि तुम हो हमारे साथ.
सुनता हूँ मैं समुद्र में हैं दोनों धारे साथ.<br><br>
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मीठा भी और खारा भी पानी का है स्वभाव,
लेकिन पहुँच न पाया कोई भी किनारे साथ.<br><br>
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सुनता हूँ मैं समुद्र में हैं दोनों धारे साथ.
संसद में हो न पायी अविश्वास मत की जीत,<br>
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विद्रोहियों को दुःख है नहीं थे सितारे साथ.<br><br>
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याद आता है भंवर में कई लोग थे घिरे,
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लेकिन पहुँच न पाया कोई भी किनारे साथ.
कितने थे अर्थ-हीन वो दिन जो गुज़ारे साथ.<br><br>
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चिल्लाई घर की भूख तो हड़ताल रुक गई,<br>
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संसद में हो न पायी अविश्वास मत की जीत,
सच्चाइयों का देते भी कबतक बिचारे साथ.<br><br>
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कितने थे अर्थ-हीन वो दिन जो गुज़ारे साथ.
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चिल्लाई घर की भूख तो हड़ताल रुक गई,
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सच्चाइयों का देते भी कबतक बिचारे साथ.
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11:21, 21 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

अदृश्य थे, मगर थे बहुत से सहारे साथ.
निश्चिन्त हो गया हूँ कि तुम हो हमारे साथ.

मीठा भी और खारा भी पानी का है स्वभाव,
सुनता हूँ मैं समुद्र में हैं दोनों धारे साथ.

याद आता है भंवर में कई लोग थे घिरे,
लेकिन पहुँच न पाया कोई भी किनारे साथ.

संसद में हो न पायी अविश्वास मत की जीत,
विद्रोहियों को दुःख है नहीं थे सितारे साथ.

मित्रों के शत्रु-भाव से महसूस ये हुआ,
कितने थे अर्थ-हीन वो दिन जो गुज़ारे साथ.

चिल्लाई घर की भूख तो हड़ताल रुक गई,
सच्चाइयों का देते भी कबतक बिचारे साथ.