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अपनी ज़मीन का / रमेश रंजक

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तुमको नाहक डर लगता है
मुझको सारा देश
नुमाइशघर लगता है
तुमको नाहक डर लगता है

क्या है डर की बात बताओ
महतो, गोपी को समझाओ
यह समझाना
और बुझाना
मुझको एक सफ़र लगता है
तुमको नाहक डर लगता है

डर के आगे आग जलाओ
कद्दावर शब्दों को लाओ
फिर देखो—
अपनी ज़मीन का
कितना बड़ा जिगर लगता है
तुमको नाहक डर लगता है