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"अपने पथ पर चलना / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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13:53, 10 अगस्त 2016 के समय का अवतरण

चलने की खा कर सौ कसमें
पंथी हार न जाना पथ में।

तेरी ही थकान जब तुझ से
तीखा वाद-विवाद करेगी
एक गुनगुनी सिहरन तेरे
तन-मन को फौलाद करेगी

पानीदार आग होती है
पथ के दावेदार शपथ में।

अन्तर की चिनगारी का तू
जिस दिन कर देगा अनुमोदन
जाने कितने रूप बदल कर
आएँगे हर बार प्रलोभन

फिर भी अपने पथ पर चलना
मत चढ़ना चाँदी के रथ में।