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"अब के बरस भेज भईया को बाबुल / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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अब के बरस भेज भईया को बाबुल सावन में लीजो बुलाय रे ! | अब के बरस भेज भईया को बाबुल सावन में लीजो बुलाय रे ! | ||
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लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखियाँ दीजो संदेशा पठाय रे ! | लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखियाँ दीजो संदेशा पठाय रे ! | ||
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बैरन जवानी ने छीने खिलौने और मेरी गुड़िया चुराई | बैरन जवानी ने छीने खिलौने और मेरी गुड़िया चुराई | ||
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बाबुल मैं थी तेरे नाज़ों की पाली फिर क्यों हुई मैं पराई | बाबुल मैं थी तेरे नाज़ों की पाली फिर क्यों हुई मैं पराई | ||
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बीते रे जुग कोई चिठिया न पाती, न कोई नैहर से आए रे ! | बीते रे जुग कोई चिठिया न पाती, न कोई नैहर से आए रे ! | ||
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अम्बुवा तले फिर से झूले पड़ेंगे रिमझिम पड़ेंगी फुहारें | अम्बुवा तले फिर से झूले पड़ेंगे रिमझिम पड़ेंगी फुहारें | ||
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लौटेंगी फिर तेरे आंगन में बाबुल सावन की ठंडी बहारें | लौटेंगी फिर तेरे आंगन में बाबुल सावन की ठंडी बहारें | ||
+ | छलके नयन मोरा, कसके रे जियरा, बचपन की जब याद आए रे ! | ||
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− | + | यह गीत शैलेन्द्र ने फ़िल्म 'बंदिनी' के लिए लिखा था । |
22:14, 7 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
अब के बरस भेज भईया को बाबुल सावन में लीजो बुलाय रे !
लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखियाँ दीजो संदेशा पठाय रे !
बैरन जवानी ने छीने खिलौने और मेरी गुड़िया चुराई
बाबुल मैं थी तेरे नाज़ों की पाली फिर क्यों हुई मैं पराई
बीते रे जुग कोई चिठिया न पाती, न कोई नैहर से आए रे !
अम्बुवा तले फिर से झूले पड़ेंगे रिमझिम पड़ेंगी फुहारें
लौटेंगी फिर तेरे आंगन में बाबुल सावन की ठंडी बहारें
छलके नयन मोरा, कसके रे जियरा, बचपन की जब याद आए रे !
यह गीत शैलेन्द्र ने फ़िल्म 'बंदिनी' के लिए लिखा था ।