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Kavita Kosh से
अब तो छोड़ नहीं जायेंगे!
अबकी बिछुड़ी फिर न मिलूंगी मिलूँगी लाख यहाँ आयेंगे
टूट गिरी जो कलिका भू पर
अब तो छोड़ नहीं जायेंगे!
अबकी बिछुड़ी फिर न मिलूंगी मिलूँगी लाख यहाँ आयेंगे
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