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अमन के नाम दो लमहात फकत कर्ज चाहिए / ईश्वर करुण

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अमन के नाम दो लम्हात फकत कर्ज चाहिए
घुटती हुई साँसों को नया तर्ज चाहिए ।

बेवक्त की पीड़ीं में पड़ा खाँसता है मुल्क
अपना लहू दौड़ादे ऐसा फर्ज चाहिए ।

करते है जो गाँधी के वसूलों का रोज कत्ल
मर जाये वो कुहर के ऐसा मर्ज चाहिए

ये मुल्क हमारा है मेरी जान मुल्क का
कुर्बानियाँ देने का खुद ही गर्ज चाहिए ।

दो चार शहीदों का भी नाम नहीं याद
पर नाम देशभक्तों में ही दर्ज चाहिए ।

वो रोज मेरी रोटियाँ कुतों को खिलायें
लेकिन उन्हे ‘ईश्वर’ का आदाब अर्ज़ चाहिए ।