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अल्मिया / फ़राज़

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आज हालात का ये तंज़े-जिगरसोज़ <ref> सीने को छलनी कर देने वाला उलाहना</ref>तो देख
तू मिरे शह्र के इक हुजल-ए-ज़रींज़र्रीं<ref>सोने (स्वर्ण) की सेज</ref> में मकीं<ref>निवासी</ref>और मैं परदेस में जाँदाद-ए-यक -नाने- जवीं<ref>जौ की एक रोटी को तरसता</ref>
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