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"अश्क आँखों में भर गए होंगे / जंगवीर स‍िंंह 'राकेश'" के अवतरणों में अंतर

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अगर तुम बारीकियों को पकड़ रहे हो
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अश्क आँखों में भर गए होंगे
तो सीख जाओगे एक दिन !!
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या'नी सब ख़्वाब मर गए होंगे
हौसले से मंजिल पर बढ़ रहे हो
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तो जीत जाओगे एक दिन !!
+
  
समय की हवा उस रूख में बहने लगेगी
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बारहा तेरे चाहने वाले,
जिस दिशा में तुम होगे !
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वक़्त पे सब मुकर गए होंगे
खुशियों की परछाईयाँ पीछे चलने लगेगीं
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जिस जगह पे तुम होगे !
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साफ नीयत से काम करोगे
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तो काम भी तुम पर मरेंगे !!
+
  
अगर ज़मी-आसमां एक कर रहे हो
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वज़्ह थी, जो दरख़्त सूखा है
तो जीत जाओगे एक दिन !!
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यूँ ही पत्ते न झर गए होंगे
  
ख़ामोशी के संग भी तुम
+
आज फिर शाम ढल गयी होगी
ख़ामोश मत रहना !!
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आज फिर लोग घर गए होंगे
हुस्न के नशे में हर दम
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मदहोश मत रहना !!
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अपनों को गैर मत करना
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गैरों से बैर मत करना !!!!
+
  
अपनी मुश्किलों से जो लड़ रहे हो
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कल क़यामत की बाहों में आकर
तो जीत जाओगे एक दिन !!
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क्या ? वो सब लोग मर गए होंगे
  
हुस्न इक निकासी है
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ऐ! कज़ा नींद बन के आयी है  
आत्मज्ञान सर्वव्यापी है  
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तुझसे तो ख़्वाब डर गए होंगे
ये बात जो समझ रहे हो
+
 
तो जीत जाओगे एक दिन !!
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देख के जिनको काँप जाता हूँ
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मौत से पहले मर गए होंगे
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आसमाँ टूट के बिखर गया है  
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तारे भी टूट के बिखर गए होंगे
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और किस बात पर मरा है 'वीर'
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उस के जज़्बात मर गए होंगे ।
 
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08:17, 4 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण

अश्क आँखों में भर गए होंगे
या'नी सब ख़्वाब मर गए होंगे

बारहा तेरे चाहने वाले,
वक़्त पे सब मुकर गए होंगे

वज़्ह थी, जो दरख़्त सूखा है
यूँ ही पत्ते न झर गए होंगे

आज फिर शाम ढल गयी होगी
आज फिर लोग घर गए होंगे

कल क़यामत की बाहों में आकर
क्या ? वो सब लोग मर गए होंगे

ऐ! कज़ा नींद बन के आयी है
तुझसे तो ख़्वाब डर गए होंगे

देख के जिनको काँप जाता हूँ
मौत से पहले मर गए होंगे

आसमाँ टूट के बिखर गया है
तारे भी टूट के बिखर गए होंगे

और किस बात पर मरा है 'वीर'
उस के जज़्बात मर गए होंगे ।