भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"असम्भव लगता / अमित कल्ला" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमित कल्ला |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

06:12, 10 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

असम्भव
लगता
कह पाना
 
यूँ मानो
अपने आपको
दोहराता हुआ
देह से भिन्न
कोई आस्वादन,

सत्य के
अनुकरण में
क्या इतना कुछ
काफी नहीं,

या फिर
इसका उल्टा
साल दर साल

किसी का
अनुयायी
बने रहना
शायद
असम्भव ही।