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मैं तलछट सी निकालकर  
 
फेंक दी गई हूँ  
 
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किनारे पर  
 
किनारे पर  
 
 
लहरों को मेरा  
 
लहरों को मेरा  
 
 
साथ बहना  
 
साथ बहना  
 
 
रास नहीं आया  
 
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मैं न शंख थी  
 
मैं न शंख थी  
 
 
न सीपी  
 
न सीपी  
 
 
कि चुन ली गई होती  
 
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किन्ही उत्सुक निगाहों से  
 
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रेत थी  
 
रेत थी  
 
 
रेत सी रौंदी गई  
 
रेत सी रौंदी गई  
 
 
काल के क्रूर हाथों से
 
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20:18, 9 नवम्बर 2009 का अवतरण

मैं तलछट सी निकालकर
फेंक दी गई हूँ
किनारे पर
लहरों को मेरा
साथ बहना
रास नहीं आया

मैं न शंख थी
न सीपी
कि चुन ली गई होती
किन्ही उत्सुक निगाहों से
रेत थी
रेत सी रौंदी गई
काल के क्रूर हाथों से