भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अस हर नाम जगत भय हारी / संत जूड़ीराम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संत जूड़ीराम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:02, 29 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
अस हर नाम जगत भय हारी।
पूरन धाम नाम जिन चीन्हों कलमल विपत विडारी।
है सतसंग रंग जब दरसे सतगुरु शबद विचारी।
पारस परस लोह भयो कंचन जुगन-जुगन सुकारी।
आनंद भवन दरिद्र विनासन वेद उक्त धुन धारी।
भक्त अखंड मुक्त यह डोलत सो प्रीतम की प्यारी।
जूड़ीराम नाम गति येसी कीजै हृदय अधारी।