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अस हर नाम जगत भय हारी।
पूरन धाम नाम जिन चीन्हों कलमल विपत विडारी।
है सतसंग रंग जब दरसे सतगुरु शबद विचारी।
पारस परस लोह भयो कंचन जुगन-जुगन सुकारी।
आनंद भवन दरिद्र विनासन वेद उक्त धुन धारी।
भक्त अखंड मुक्त यह डोलत सो प्रीतम की प्यारी।
जूड़ीराम नाम गति येसी कीजै हृदय अधारी।