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{{KKRachna
|रचनाकार=राजेंद्र नाथ 'रहबर'
|संग्रह=याद आऊंगा / राजेंद्र नाथ रहबर; तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त / राजेंद्र नाथ रहबर
}}
{{KKCatGhazal}}
किसी परवाने को देखोगे तो याद आऊंगा
जब किसी फूल पे ग़श२ ग़श होती हुई बुलबुल को
सह्ने-गुल्ज़ार में देखोगे तो याद आऊंगा
</poem>