भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आए थे कबीर / विष्णुचन्द्र शर्मा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:50, 17 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णुचन्द्र शर्मा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कज़ गाँव में कब
कबीर आए थे
सत कातने!
ताना-बाना गढ़ने!
कोरे दिलों में
ढाई आखर का गान उतारने!
स्टेशन चला गया।
मैं किससे पूछूँ
कबीर की अकथ कथा!