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"आग नयनों में आग पलने दो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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आज नयनों में आग पलने दो।
 
आज नयनों में आग पलने दो।
न बुझाओ चराग, जलने दो।  
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न बुझाओ चराग़, जलने दो।
  
 
आग बुझती न सूर्य के दिल की,
 
आग बुझती न सूर्य के दिल की,
 
उम्र दिन एक से हैं ढलने दो।
 
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नींद की बर्फ लहू में पैठी,
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रात की धूप में पिघलने दो।  
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थक गई है ये अकेले चलकर,  
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थक गई है ये अकेले चलकर,
आज साँसों पे साँस मलने दो।  
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आज साँसों पे साँस मलने दो।
  
 
नीर सा मैं हूँ शर्करा सी तुम,
 
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थोड़ी जो है खटास चलने दो।  
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थोड़ी जो है खटास चलने दो।
 
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13:03, 26 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

आज नयनों में आग पलने दो।
न बुझाओ चराग़, जलने दो।

आग बुझती न सूर्य के दिल की,
उम्र दिन एक से हैं ढलने दो।

नींद की बर्फ़ लहू में पैठी,
रात की धूप से पिघलने दो।

थक गई है ये अकेले चलकर,
आज साँसों पे साँस मलने दो।

नीर सा मैं हूँ शर्करा सी तुम,
थोड़ी जो है खटास चलने दो।