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आग में इसको अभी न डालो मिट्टी गीली है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र

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आग में इसको अभी न डालो मिट्टी गीली है।
पहले थोड़ी धूप दिखा लो मिट्टी गीली है।

व्यर्थ न जाने देना इसके भीतर का पानी,
चुक्कड़ गढ़ लो मूर्ति बना लो मिट्टी गीली है।

पानी सूखेगा तो ये पत्थर हो जायेगी,
तुख़्म-ए-मुहब्बत जल्दी डालो मिट्टी गीली है।

ज़्यादा अगर मिला तो ये कीचड़ हो जायेगी,
और न पानी इसमें डालो मिट्टी गीली है।

बेमिसाल कोमलता इसकी लाजवाब ख़ुशबू,
तन से मन से इसे लगा लो मिट्टी गीली है।