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आजु सुमगल दायक, सब बिधि लायक हे / अंगिका लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

इस गीत में पुत्र की प्राप्ति की उत्पत्ति के बाद घर में आनंद बधावे बजने, शुभ संवाद सुनकर इनाम पाने वालों का राजा के पास आने, बच्चे को आशीर्वाद देते हुए उसका गुणगान करने तथा मंगल-कामना करते उनके अपने-अपने घर जाने का उल्लेख है।

आजु सुमंगल दायक, सब बिधि लायक हे।
ललना रे, जनमल होरिला, आनंद उर छायल हे॥1॥
दुअरे बाजै बधावा, एँगना गाबै सोहर हे।
ललना रे, राजा दसरथ के मन भेल हुलास, नौबत झरै<ref>नैबत झहर रहा है; नौबत बज रहा है</ref> हे॥2॥
होरिला के सुनि के जलम, उछाह माँगै हे।
ललना रे, माँगै इनाम, से लय घ्ज्ञर जैबै हे॥3॥
बसतर भूसन सब पायल, मन हुलसायल हे।
ललना रे, होरिला कय दय आसीस, हरसि गुन गाबल हे॥4॥
राजा राम के जलम भेलै, हिलिमिलि सखि गाबत हे।
ललना रे, जुग जुग जियहो सिरीराम अँगने खूब खेलहु हे॥5॥

शब्दार्थ
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