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"आज आपसे/ ज्योत्स्ना शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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भला या बुरा
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कुछ तो कह जाते
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जा पतझर !
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सुधियों की वीणा है
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पाया रस निर्झर !
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तुम सूरज !
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मैं रससिक्त धरा
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खूब तपा लो,
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मेरे मन यादों का
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गुलमोहर झरा ।
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शर्मीली भोर
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उतरी धीरे-धीरे
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पूर्व की ओर
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लो डाल गया रंग
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ये कौन ? हुई दंग ।
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खेल तो लूँ मैं
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होली संग तुम्हारे
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ज्यों रंग डालूँ
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तुमपे कान्हा ,भीगें
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मन,प्राण हमारे ।
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नया सूरज
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नया सवेरा लाए
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मन मुस्काए
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ख़ुशियों की रागनी
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ये मन-वीणा गाए ।
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उषा मोहिनी
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नभ पथ चली ,ले
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सोने सी काया
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पीछे प्रीत पाहुन
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दिवस मुग्ध ,आया ।
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भोर है द्वार
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गाते पंछी करते
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मंगलाचार ।
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पवन भी मगन
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प्रेम वर्षे अपार ।
  
 
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16:47, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण


25
आज आपसे
कहनी हैं दो बातें-
भला या बुरा
कुछ तो कह जाते
सब,प्यारी सौग़ातें ।
26
बुहार दिए
निराशा के पत्रक
जा पतझर !
सुधियों की वीणा है
पाया रस निर्झर !
27
तुम सूरज !
मैं रससिक्त धरा
खूब तपा लो,
मेरे मन यादों का
गुलमोहर झरा ।
28
शर्मीली भोर
उतरी धीरे-धीरे
पूर्व की ओर
लो डाल गया रंग
ये कौन ? हुई दंग ।
29
खेल तो लूँ मैं
होली संग तुम्हारे
ज्यों रंग डालूँ
तुमपे कान्हा ,भीगें
मन,प्राण हमारे ।
30
नया सूरज
नया सवेरा लाए
मन मुस्काए
ख़ुशियों की रागनी
ये मन-वीणा गाए ।
31
उषा मोहिनी
नभ पथ चली ,ले
सोने सी काया
पीछे प्रीत पाहुन
दिवस मुग्ध ,आया ।
32
भोर है द्वार
गाते पंछी करते
मंगलाचार ।
पवन भी मगन
प्रेम वर्षे अपार ।