भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज फिर मुझको खिड़की से/ विनय प्रजापति 'नज़र'

Kavita Kosh से
विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:11, 29 दिसम्बर 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लेखन वर्ष: २००३

आज फिर मुझको खिड़की से
दिख रहा है चाँद आधा-आधा

जिस तरह से मैं जी रहा हूँ
वो भी कहीं जी रहा है आधा-आधा