भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आदमी की अज़ीब हालत है / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो () |
|
(कोई अंतर नहीं)
|
08:10, 18 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
आदमी की अज़ीब हालत है
वहशियों में ग़ज़ब की ताकत है
चन्द नंगो ने लूट ली महफिल
और सक्ते में आज बहुमत है
अब किसे इस चमन की चिंता है
अब किसे सोचने की फुरसत है
जिनके पैरो तले ज़मीन नहीं
उनके सर पर उसूल की छत है
रेशमी शब्दजाल का पर्याय
हर समय, हर जगह सियासत है
वक़्त के डाकिए के हाथों में
फिर नए इंकलाब का खत है