भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आदि अंत मेरा है राम / दरिया साहब" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दरिया साहब |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatPad}}
 
{{KKCatPad}}
 
<poem>
 
<poem>
आदि अंत मेरा है राम, उन बिन और सकल बेकाम॥
 
कहा करूँ तेर बेद-पुराना, जिन है सकल सकत बरमाना।
 
कहा करूँ तेरी अनुभौ बानी, जिनतें मेरी बुद्धि भुलानी॥
 
कहा करूँ येमान-बड़ाई, राम बिना सब ही दुखदाई।
 
कहा करूँ तेरा सांख्य औ जोग, राम बिना सब बंधन रोग॥
 
कहा करूँ इन्द्रिनका सुक्ख, राम बिना देवा सब दुक्ख।
 
'दरिया' कहै, राम गुरु मुखिया, हरि बिन दुखी, रामसँग सुखिया॥
 
 
आदि अंत मेरा है राम, उन बिन और सकल बेकाम॥
 
आदि अंत मेरा है राम, उन बिन और सकल बेकाम॥
 
कहा करूँ तेर बेद-पुराना, जिन है सकल सकत बरमाना।
 
कहा करूँ तेर बेद-पुराना, जिन है सकल सकत बरमाना।

16:08, 23 मई 2014 के समय का अवतरण

आदि अंत मेरा है राम, उन बिन और सकल बेकाम॥
कहा करूँ तेर बेद-पुराना, जिन है सकल सकत बरमाना।
कहा करूँ तेरी अनुभौ बानी, जिनतें मेरी बुद्धि भुलानी॥
कहा करूँ येमान-बड़ाई, राम बिना सब ही दुखदाई।
कहा करूँ तेरा सांख्य औ जोग, राम बिना सब बंधन रोग॥
कहा करूँ इन्द्रिनका सुक्ख, राम बिना देवा सब दुक्ख।
'दरिया' कहै, राम गुरु मुखिया, हरि बिन दुखी, रामसँग सुखिया॥