भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आधुनिक फसलें / वैशाली थापा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:45, 3 मार्च 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वैशाली थापा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक देश का अपने देश में
चैन से रहना मुश्किल नहीं है
बशर्ते दूसरा देश अपने देश में चैन से रहे

मगर बेचैनी बीजों में इस तरह घुल गई है
कि सारी फसलें अशांत हो गई है
चाँद, मंगल भी चैन से रह लेते
अगर हम पृथ्वी पर बेचैन ना होते।