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"आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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रंग चमकेगा नहीं आइना चमकाने से
 
रंग चमकेगा नहीं आइना चमकाने से
  
फ़ासला थोडा-सा अच्छा है आपमें, हममें
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फ़ासिला थोडा-सा अच्छा है आपमें, हममें
 
ख़त्म हो जायगा यह खेल पास आने से
 
ख़त्म हो जायगा यह खेल पास आने से
  

01:56, 10 जुलाई 2011 का अवतरण


आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से!
ये वो प्याला है जो भरता है छलक जाने से

हैं वही आप, वही हम हैं, वही दुनिया है
बात कुछ और है थोडा-सा मुस्कुराने से

मोतियों से भी सजा लीजिये पलकों को कभी
रंग चमकेगा नहीं आइना चमकाने से

फ़ासिला थोडा-सा अच्छा है आपमें, हममें
ख़त्म हो जायगा यह खेल पास आने से

देखते- देखते कुछ यों हवा हुए हैं गुलाब
ज्यों गया हो कोई बीमार के सिरहाने से