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"आफत में है जान / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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11:23, 16 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

बड़के भैया रंग-रंगीले
खूब चबाएँ पान।
मँझले भैया गप्प-गपीले
दिनभर खाएँ कान।
हमारी आफत में है जान।

हम दोनों का हुकुम बजाएँ,
रूठें जब वे, हमीं मनाएँृ,
फिर भी तेवर हमें दिखाएँ
जैसे तीर-कमान।
हमारी आफत में है जान।

ठाठ-बाट तो रखते ऐसे,
मालिक हों दुनिया के जैसे,
देते न लेकिन दस पैसे,
हैं कंजूस महान।
हमारी आफत में है जान।