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"इस तरह याद आएँगे हम फ़ुरसतों के दर्मियाँ / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर

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<poem>इस तरह याद आएँगे हम फ़ुरसतों के दर्मियाँ
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ज्यों खनक जाए है कुछ ख़ामोशियों के दर्मियाँ
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इस तरह याद आएँगे हम फ़ुरसतों के दरमियाँ
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ज्यों खनक जाए है कुछ ख़ामोशियों के दरमियाँ
  
 
तेरी बीनाई किसी दिन छीन लेगा देखना  
 
तेरी बीनाई किसी दिन छीन लेगा देखना  
देर तक रहना तेरा ये आईनों के दर्मियाँ
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देर तक रहना तेरा ये आईनों के दरमियाँ
  
 
क़ैद सा महसूस करता है दिलों का राज़ भी  
 
क़ैद सा महसूस करता है दिलों का राज़ भी  
खुल नहीं जाता है जब तक दूसरों के दर्मियाँ
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खुल नहीं जाता है जब तक दूसरों के दरमियाँ
  
 
दूरियाँ-नज़दीकियाँ ऐसी ही हम दोनों में है  
 
दूरियाँ-नज़दीकियाँ ऐसी ही हम दोनों में है  
जैसी होती है अमूमन दो घरों के दर्मियाँ
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जैसी होती है अमूमन दो घरों के दरमियाँ
  
 
इक अलग ही तर्ज़ के होते हैं शोहरत के शिखर  
 
इक अलग ही तर्ज़ के होते हैं शोहरत के शिखर  
सीढ़ियाँ रहती हैं ग़ायब सीढ़ियों के दर्मियाँ
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सीढ़ियाँ रहती हैं ग़ायब सीढ़ियों के दरमियाँ
  
 
हर मुसाफ़िर की नज़र ऐसी कहाँ जो देख ले  
 
हर मुसाफ़िर की नज़र ऐसी कहाँ जो देख ले  
फ़ासले कुछ और भी हैं फ़ासलों के दर्मियाँ
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फ़ासले कुछ और भी हैं फ़ासलों के दरमियाँ
 
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15:13, 17 जून 2020 के समय का अवतरण

इस तरह याद आएँगे हम फ़ुरसतों के दरमियाँ
ज्यों खनक जाए है कुछ ख़ामोशियों के दरमियाँ

तेरी बीनाई किसी दिन छीन लेगा देखना
देर तक रहना तेरा ये आईनों के दरमियाँ

क़ैद सा महसूस करता है दिलों का राज़ भी
खुल नहीं जाता है जब तक दूसरों के दरमियाँ

दूरियाँ-नज़दीकियाँ ऐसी ही हम दोनों में है
जैसी होती है अमूमन दो घरों के दरमियाँ

इक अलग ही तर्ज़ के होते हैं शोहरत के शिखर
सीढ़ियाँ रहती हैं ग़ायब सीढ़ियों के दरमियाँ

हर मुसाफ़िर की नज़र ऐसी कहाँ जो देख ले
फ़ासले कुछ और भी हैं फ़ासलों के दरमियाँ