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"उठि भोरे कहु हरि हरि / लक्ष्मीनाथ परमहंस" के अवतरणों में अंतर
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लक्ष्मीपति अजहू भज रघुबर | लक्ष्मीपति अजहू भज रघुबर | ||
रघुबर पद उर धरि धरि | रघुबर पद उर धरि धरि | ||
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(यह प्राती हमें 'चंदा यादव' द्वारा उपलब्ध करवाई गई है) | (यह प्राती हमें 'चंदा यादव' द्वारा उपलब्ध करवाई गई है) | ||
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22:22, 26 जून 2021 के समय का अवतरण
उठि भोरे कहु हरि हरि,हरि हरि
राम कृष्ण के कथा मनोहर
सुमिरन करले घड़ी घड़ी
उठि भोरे कहु हरि हरि
दुर्लभ राम नाम रस मनुआ
पीवि ले अमृत भरि भरि
अंजुलि जल जस घटत पीवत नित
चला जात जग मरि मरि
हरि हरि...
मैं मैं करि ममता में भूले
अजा मेख सम चरि चरि
सन्मुख प्रबल श्वान नहिं सूझत
खैंहें काल सम लड़ि लड़ि
हरि हरि...
दिवस गमाए पेट कारन
द्वंद्व,फंद,छल करि करि
निसि नारि संग सोई गबाए
विषय आगि में परि परि
हरि हरि...
नाहक जीवन खोई गबाए
चिंता से तन झरि झरि
लक्ष्मीपति अजहू भज रघुबर
रघुबर पद उर धरि धरि
हरि हरि...
(यह प्राती हमें 'चंदा यादव' द्वारा उपलब्ध करवाई गई है)