भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उड़ि जातिउ सोना चिरैया / बघेली

Kavita Kosh से
Dhirendra Asthana (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:41, 19 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

उड़ि जातिउ सोना चिरैया ननंद मोरी
उड़ि जातिउ सोना चिरैया
अपने ननंदी का बेसर बनवाय देबइ
झुलनी लयउबै बड़ी बांकी
ननंद मोरी उड़ि जातिउ सोना चिरैया ननंद मोरी
अपने ननंदी का कंगना बनवाय देबइ
पहुंची लयउबै बड़ी बांकी - ननंद मोरी उड़ि जातिउ सोना चिरैया
अपने ननंदी का बहुंटा बनवाय देबइ
बाजू लयउबै बड़ी बांकी ननंद मोरी
उड़ि जातिउ सोना चिरैया ननंद मोरी
अपने ननंदी का चुरवा बनवाय देबइ
जेहरी लयउबै बड़ी बांकी ननंद मोरी
उड़ि जातिउ सोना चिरैया
ननंद मोरी उड़ि जातिउ सोना चिरैया
ननंद मोरी