भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उनकी हमसे नज़र नहीं मिलती / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार रवींद्र }} {{KKCatGhazal}} <poem> उनकी हमसे नज़र नहीं …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:35, 11 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
उनकी हमसे नज़र नहीं मिलती
अब किसी की ख़बर नहीं मिलती
रात पूनो की दिल में रहती थी
ख़ूब ढूँढा मगर नहीं मिलती
पाँव-प्यादे जहाँ चले थे कल
हमको अब वो डगर नहीं मिलती
जिसको सुनते ही बात बनती थी
बात वो बाअसर नहीं मिलती
उसके आते ही फूल खिलते थे
वो हवा अब इधर नहीं मिलती
लोग उठते ही पाँव छूते थे
अब कहीं वो सहर नहीं मिलती
साथ रहती थी चाँदनी छत पर
इन दिनों, भाई, घर नहीं मिलती
शेर कहने को कहते हैं वो भी
पर कहीं भी बहर नहीं मिलती